Saturday 31 May 2014

सूर्य सबैका आत्मा, ईश्वर !

सूर्य सबैका आत्मा ईश्वर -

सूर्य सबैका माता पिता,
दाता धारण धर्म प्रधान
जन्मजन्मको पाप पखाली
न्यानो दिन्छन् शुभ-बिहान !

आत्मा जस्तै केही नगर्ने
सबकुछ् गर्ने सत्य महान
धर्ती मँगल चन्द्र उज्याला
रातकी ज्योति दिव्य-बिहान !

ईश्वर तिमी नै, साक्षी सबका
नाश नहुने ज्ञान सम्मान
स्वर्गै मण्डल धरधप बाली
पूर्णता भर, लग-अभिमान !


दानव देव र साधु-सन्तति
पाताल स्वर्ग अझ बलवान
रूख लहराई झुल्दछ सुखमा

प्राणी मस्तली, बन गुणगान

अहँकारको ऊष्ण निखारी
शितल गर हे दिव्य महान-
युगौँ युगको ज्योति, स्थिर जो
अचल सुक्ष्मको चेतन ज्ञान !

 
झरना दिन्छिन् अर्घ तिमीमै
हुरीले गर्छिन् दीप आह्वान,
गँगा बग्छीन् कलकल् स्वरमा

भजन गरी-मन खुसी बयान !

धर्ती मँगल बास्ना छर्छिन्
मगमग पुष्पित सब सुमधुर
ज्ञान प्रेरित गरदै सूर्य
ब्युँझी उठ्दछ पुनः नव-यूग !

Savior, Teacher, Guru and the Yogi !

Savior, Teacher, Guru and the Yogi !

You are the merciful, selflessly kind,
Sounds to a deaf, dear, eyes to a blind !
We are in the cross-roads, heavenly bright,
Grant us your wisdom,hence divinely sight!

King of the west and a prince of the God,
Savior of multitudes, Son of the Lord!
You gave up your body to resurrect from soul,
Awakened, a supreme being, peace is your goal !

Creatures have equal sense, no caste or creed,
Potentially divine yet, poor class or breed.
Your door is open and your arms are wide !
Nothing is your secret hence nothing to hide !
Not to be served, You came here to serve,
Grant us your wish, what else we deserve !
Let there be peace, Let there be light
Let there be truth, from wrong to right !

Love and compassion is your nature and name,
Away from the darkness, ego, greed and fame
Forgiving, blissful, consciously pure,
We take thy refuge, embrace us for sure ! 


- Ananta G Risal

भारत-वर्ष महान


1. भारत-वर्ष महान !!!


 भारत माता हमरी शान, सनातनकी सही पहिचान
ऊर्वर भूमी नदीयोँ गान, पवित्र घरकी प्रेम वयान
गँगा बहेती जिस धर्तीमेँ पूर्वकी सूरज उदय आसान
जागो जन हे आम तमाम, ईन्द्रियोँको खिची लगाम ।

सत्य अहिँसा बुद्ध धर्मकी शिव या कृष्ण, सीता औ-राम
महावीरकी धरती प्यारी मानव सेवा सन्त की धाम !
भरत-वँश की त्याग-महीमा जानकी यूवा आत्म सम्मान
रामको तो आज्ञा दशरथ दि थी भरतने छोडा राज्य शासन !

धर्म पूर्वक कर्म जो करेँ, भक्ति-ध्यानसे ज्ञान आसान
पडोसीयोमेँ द्वन्द नकरावे भारत-वर्ष मेँ विजयी गान !
सब घर घरमे सेवा ऊत्सव तिथी-त्योहारसे लगी रँगीन
भारत वर्षकी महिमा देखो वीर-जाति ये, गोरख-सँगीन

हिमालयोँके पूत्री हमारी पार्वतीजी है शक्ति-मान!
जागो नारी घरकी शोभा भारत-वर्ष जो दिव्य महान
स्वामी नारायण मुक्तिक्षेत्रमे, पहाडों गुहामे तपस्वी व्यास
आध्यात्मिक ये भूमी हमारी भूलके आशा मिटेगी प्यास

तपस्वी राजा जनक ज्ञानी साध्वी ममता सीता रानी
हिमखण्डकी अविरल पानी पूत्र सब हैँ स्व-अभिमानी
विषयोँ जडसे सँयम करके- विषय-रसकी कर वलिदान
गरिवी क्योँ है? मनकी दूर्गुण- माँगो ईश्वरसे अनुदान !

बहादुरोँ वो दूर क्योँ मित्रोँ? सम्मानसे ये नज्दिक प्यारे
तिरँगा है ध्वजा अपनी- चन्द्र सूर्य है सबके तारेँ
मित्रोँ सबकी शुभआशिषसे भारत वर्षमेँ वैदिक राज,
गौमाताकी हटगई लज्जा नेपाल हमारी शिरकी ताज !

- अनन्तगोपाल रिसाल

2. विना अल्लाह- निगरानी हराम !



खुदा खुसीसे खुदकर देते, योँही पलटमे काम तमाम!
हृदय हाँ जी, खीडकी जिनकी, सन्त सुरक्षा साधु ईमाम!
अल्लाह तुम हि खुद-आ सकते, स्वयँभू जैसी यशु-शिव-धाम,
औरत रोगी बुढे बच्चे लेगेँ अकवर तेरा नाम !

तमन्ना है खुस-किस्मतकी किम्मत क्या है, पुछो बात?
आसमानकी जन्नत तारेँ, चाँद है तुमारी हरपल साथ
रास्ता साफ है भजले मनुवा पढो हरपल करले नमाज,
ताज-महलकी उच्च भवनमेँ सुखी रहेगी, सभ्य समाज !

सलामत तेरी तकदीर जो भी मजबुरीमेँ ना होगी काम,
अल्लाह तेरी मददगार होगी दुआ करे हम््, हर शुभ-साम !
हुक्म तुमारी खूबसुरत प्यारी या खुदा! खुदसे कर पहिचान,
सलामत रखना साथ कबुलकर हटावो मनसे मद अभिमान !

निर्गूण-की तो सेवा कैसी? अपनी मनकी दूर्गुण त्याग,
बिना पुछे ही कुदरत देगी दुसरोँको लिए सबकुछ माँग !
बिना माता पिता यिनकी, जाती, प्राणी सब मेहमान!
खुदा करे भलाई तुम्हारा सारा यिन्हीकी तो है मेहरवान!

एक ही तेरे नाम रूप क्योँ?नही लोगे बस दस अबतार?
काफीर लोगकी चाहतेँ ज्यादा नभूलेँ वेहोसमेँ सच् खबरदार !
सिखलो बेटा समझो बेटी, बुझकर अपनी पढो कुरान,
जीवन-ही तो है, एक रहस्य सेवा करलो, शुभ और साम!
चाहुँ सब जगह तेरी तारीफ, न रूप है तुम्हारे अपने कोई,
छोडकर ईमान क्योँ घबराऊँ? हकिकत ही तो- अपनी हमारी !

सलाम करले व मालिक सबकी, काफिर बनके क्योँ घबराता?
मदहोशकी कुर्वानी कर्ले भैया, दुनिँया सबकुछ मिलकर जाता !
गावोँ घरोमे गौवोँ, बकरी-स्नेह करदो तो मिलेगी प्राण,
हरा हरीया़ली रँगमेँ अल्लाह हरबख्त ऊन्के ही करो पहीचान !

जिंदगी गुजरती,हरपल रहेती?  इंतज़ार में, तेरे ही नाम -
कुदरतकी ये तमन्ना देखो लेती देती सबमे तमाम !
छिपके छुपके और कौन देता? विना अल्लाह- निगरानी हराम !

-अनन्तगोपाल रिसाल
3. गायेँ हिरेमोती की खजाना -


 गायेँ केवल दुधके लिए प्यारी नही होती,
देखो तो आगे पिछे से मैँया निकलती हिरेमोती !
दुख दर्दमे मै क्या कहुँ, जबतक भूखी,रोती
राष्ट्रके ए भाग्य दाता कमजोर जैसी होती !

अमृत कैसे?नदीयाँ जैसे स्नान करके धोती-
मेरे बच्ची मेरी लाल मुनियाँ जैसी, पोती ।
सनातनकी सभ्य सभामे, बहस करेँ, नहीँ खोती
देखो तो आगे पिछे से मैँया निकलती हिरेमोती !

सेवा करो तो,गौ मैँयाकी, सुख सम्बृँद्धी लाती
ज्ञानकी सीमा कर्म-योगकी धन्य जो गीता गाती
प्रेम नगरकी,दिब्य दीवानी सन्ँगी हो या साथी
मंगल होगी दिन हमारी, जब देखें आती-जाती

देखो तो आगे पिछे से मैँया धन्य है यिनकी छाती
पुण्य कमाती अमृत देती प्यारी घाँस जो खाती !

-अनन्तगोपाल रिसाल